साहित्यिक गोरपासु

 

सुशील चौधरी

साहित्यके डिया बर्टी,
रस रस आघपह्री
समाज ओजरार पर्टी,
लौव लौव पोस्टा पह्री ।
नेपाली भाषाके महाकवि लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा साहित्य सजीव अनुभवक कलात्मक प्रकाशन हो कल बाट । अंग्रेजी साहित्यके मसिहा वर्डस्वर्ड प्रवल भावके सहज उच्छलन हो कैक परिभाषित कर्लबाट । साहित्य मानव भावके उद्घाटन हो कलसे साहित्यके माध्यमसे समाज रुपान्तरणम विचार निर्माण करसेक्जाइठ । असिन मोहन्यइना विषयम कहियासे मोहनी लागल पट्ट निहुइल । रसरस साहित्यके बाहुपासम परगैनुँ । ज्याकरमार साँसट व्यहोर्ठुु, जान ना भक्वास बरा बठा झप्वास कह असक ।

ज्ञानके खोजम गोरपासुक भूमिका रहठ । यि संसारम गोरपासुकैक संसारके खोजी कर्लक इतिहास मिलठ । सहीगलत ज्या हुइलसेफे कोलम्बस अमेरिका पत्तालगैलक कैक पहर्जाइठ । भारत पत्तालगैनाम भास्कोडिगामा हन पहर्जाइठ । चिनिया यात्री हुयन् शाङ के डायरी फे गोरपासु कर्नाम हिरगर मनैया ओ लेखक मानगिल बा । भारतीय लेखक राहुल साँकृत्यायनफले घट्गरक गोरपासु करुइया मनै मानगिल बाट । गौतम बुद्ध फे लुम्बिनीसे गयासमय जाक ज्ञान हासिक कर्लक पाजाइठ । भारतके जयपुर साहित्य महोत्सवहन संसार भरके बरवार ओ प्रभावशाली साहित्य मेला मानगिल बा । नेपालम फे गइल एक दसकसे नेपाल साहित्य फेस्टिवल काठमण्डु ओ पोखराम हुइटी रहल बा ।
भारतीय ओ नेपाली मुर्धन्य साहित्यकार ओ स्रष्टाहुकन्हक जुट्याल्हाम हुइटिरलक समाचार ओ समीक्षा पहर्टी सुन्टी हइलक बाट हो । संस्थागत कामके दर्मियानम आजसे दस वरष पहिल राजधानी काठमाण्डुकवासी हुइना अवसर मिलल मही । राजधानीक साहित्यिक सरगमके माहौलम भावनाके पँख लगाए पइनुँ । उह समयम काठमण्डुम साहित्यक महफिल बनल । थारु साहित्यके सारथी गोचा कृष्ण सर्वहारी जे आज डाक्टरसाप् होसेक्ल मही काठमण्डुम साहित्यक स्वागत कर्ल आपन कीर्तिपुरके डेराके छतम । जहाँ कीर्तिपुरम उच्च शिक्षा हासिल करअइलक दर्जनसे ढउरनक विद्यार्थीहुक्र सामेल रलक । मही उ दिन ओह्रागिलक बुद्ध खादा महीहन असिक हिलाइल, ज्याकर राप ओ तापकके कारण बरा सोचम परगैनुँ । सर्वहारी गोचा, नन्दुराज गोचा ओ सीताराम भाईसे लग्डार चिया गफम रमट रमट, महामजा साहित्यक ओ साँस्कृतिक संवादके वातावरण विकसित हुइटी गइल । उहक्रमम ठुम्रार साहित्यक बखेरी, श्रृखला सुरु हुइल । हालसम सयौ पइला आघ जास्याकल बा । नन्दुराजा चौधरी गोचाके अगुवाईम चम्पन साँस्कृतिक समूह अस्तित्वम आइल, जौन समूह रोशन रट्गैयाँ, राज कुश्मी, दीपक चौधरी, दिपक दीप, दोषहरण, ऋतु, रेनु, जसिन कलाकार जर्माइल ।

कीर्तिपुरके चिया गफम चियाके वाफमसे थारु साहित्य महोत्सवके अवधारणा विजारोपरण हुइल, २०७२ सालम । उह सपनाहन पहिला म्याला २०७३ सालम दांगके घोराहीम हुइल । दोसरा कैलालीक पटेलाम, टिसरा बर्दियाके बढैयातालम, चौठा रुपन्देहीक उचडिहवाम, पाँचवा सुर्खेतके नयाँगाउँम ओ छठवा पइला कंचनपुरके सिंहपुरम हुइल । यि छ ठो सफल साहित्यक सम्मेलनके यात्राम दुई बरस कोरोनाके कहर फे झेलगिल । असौक छठवा साहित्यक सम्मेलन कंचनपुरम भव्य रुपम हुइल । सिहंपुरके कपिलाहुक्र असिन ऐतिहासिक कामकेलाग जौन साँसट, हाँसहाँसके पुराकर्ल, उहाँहुकहन् नमन कर्ना म्वार डठे उपयुक्त शब्द निहो । यहीसे पहिल मै एकचो साहित्यिक ओ साँस्कृतिक विमर्श कर अइना मौका पासेक्लक मार मही पुरा विश्वस रह, सिंहपुर गाउँ सिंहनादके साथ सम्मेलनहन सफल करहीँ कैक । सुरुम संघरियन बहुत शंका कर्लसेफे पाछ सिंहपुरके टिमके आत्मविश्वास देख्क कंचनपुरहन पाला डेना निष्कर्षम पुगल रलह ।

तयारीक सम्बन्धम केन्द्र ओ स्थानीय आयोजकहुकहन्म समन्वयके अभावम सम्मेलनके अनिश्चतता महसुस हुइटह । मुले जस्टक दिन लग्ग आइल, सबजन जमक जाँगर डेखैलकमार, लक्ष्यम पुग्ना सफल होगिल । स्थानीय व्यवस्थापनके सवालम प्रश्न उठैना ठाउँ नैहो । विहान्नी ठारु जन्नी कामम जुट्जैना, खाना, नास्ता, पानीके कौनो अस्तव्यस्तता अनुभूत निहुइल । अन्डीक भात, ढिक्रीक बासी ओ मिन्ही विशेष रह । सम्मेलनम मारगिल जिटा ट झन् कहाँ भुलाई सेक्जाई । सिंहपुर सामुदायिक बन उपभोक्ता समितिक वातानुकुलित सभाहल हुइलक मार, कार्यक्रम चलइना कौनो दिक्कत निहुइ ।
थारु लोकसाहित्यम सौन्दर्यशास्त्रके खोजी, आख्यान लेखनका अनुभव, थारु जोधाको खोजी, थारु पत्रकारिता, महिला नेतृत्वके सवाल, विकासम भलमन्सा । बरघरके भूमिका, सामाजिक संजालम थारु साहित्य, कंचनपुरके राजनीतिक अवस्था लगायतके विषयम खनगर बखेरी कैगिल रह ।

थारु लोकसाहित्यम सौन्दर्यशास्त्रके खोजी विषयम संस्कृतिविद् सुशील चौधरी ओ जोगराज चौधरी विमर्श कर्लरलह कलसे सहजीकरण सोम डेमनडौरा कर्लरलह । यी सत्रम, थारु लोक साहित्यम रलक लोक दर्शन ओ सौन्दर्यशास्त्रके परिशिलन कैगिल रह । थारु समाजके आधार थारु लोकसाहित्य ओ संस्कृति हो उहमार लोकविश्वसम लोक दर्शन खोज्ना बेला आस्याकल बा कनाबाट अनुभूत कराइल । आख्यान लेखनके अनुभव मदनपुरस्कार विजेता रामलाल जोशी ओ साहित्यकार शिवानी सिंह थारु सुनैल । लेखक शेखर दहित डुनु मुर्गन्नी आख्यानकारहुकन्हक पोथी खोल्ल रलह । थारु जोधाके खोजी विषयम डा. कृष्ण सर्वहारी गालामर्ल रलह । शेखर दहित, राम सागर चौधरी, ओ कथाकार सीताराम थारु प्यानलिष्टक रुपम भूमिका अदा कर्ल रलह । यि सत्रम देशभरके थारु जोधाके खोजी करकलाग सम्भावित नाउँ उल्लेख कैगिल ओ छुटमुट परिचय फे करागिल रह । अधिकारकर्मी दिल बहादुर चौधरी कंचनपुरके थारु राजनीतिक अवस्था विषयम विमर्श कर्लरलह ।

राजनीतिककर्मीदेविलाल थारु ओ संचारकर्मी ओ बुद्धिजिवी बलबहादुर डगौरा प्यानलिष्टक रुपम योगदान डेलरलह । थारु नेताहुकहन्म स्वतन्त्र विचार विकसित निहुइलकमार पछलग्गुपन देखैना प्रवृत्ति रलक बाट अंग्रइल । सामाजिक संजालम थारु साहित्यबारेम गायक राजु चौधरी चर्चा कर्ल रलह कलसे गजलके विषयम गजलकार सागर कुश्मी विवेचना कर्ल । थारु महिला ओ नेतृत्व विषयम अधिवक्त गीता चौधरी नेतृ गीता थारु ओ सुनिता चौधरी सानु आपन अनुभव ओ अनुभूति पस्कल रलक । निबन्धकार साफी चौधरी बखेरीम बाट बिट्खोर्ज रलही । साहित्यकार छवि कोपिला पोस्टाके रचनागर्भक विषयम चर्चा कर्ल रलह । सम्मेलनक उद्घाटन सत्रम विमोचन कैगिलक थारु जोधा पोष्टक लेखक शेखर दहित, जोँजा निबन्धसंग्रहक लेखक बीरबहादुर राजबंसी, लखागिर जर्नलक सम्पादक मानबहादुर पन्ना ओ गोरपासु संस्मरण निबन्ध संग्रहक लेखक साफी चौधरी आपन कृति लिखबेलाके साँसट, हौसला ओ सहज असहज परिवेशके बारेम मन विट्खोर्ल रलह । कृष्णपुर नगरपालिकके उपप्रमुख रमीता राना बडायक, वडा अध्यक्ष आशाराम चौधरी स्थानीय विकासम भलमन्सा ओ बरघरके भूमिकाके विषयम गाला मर्लरलह । उ बखेरीहन गुर्सावन डर्नाकाम सोम डेमनडौरा डर्ल रलह । कवियित्री प्रकृतिपुजाके सुमधर स्वरम कविता वाचन, ओ गजलके जलवा फे सम्मेलनहन चमचम बनइनाम सघैल रहल ।

छठवा साहित्य सम्मेलनके आर्थिक सहयोग विशेषकैक कृष्णपुर नगरपालिका कर्लरह, सम्मेलनक उद्घाटन फे नगरप्रमुख कर्णबहादुर हमाल कर्लरलह । नगर प्रमुख हमाल थारु भाषा, साहित्य ओ संस्कृतिक संरक्षण ओ विकासकलाग सद्ध तयार रलह बटैल । स्थानीय आयोजकके भूमिकाम रलक जोगराज चौधरी, वडाध्यक्ष आशाराम चौधरी, नत्थुराम चौधरी, मोहन सरके सक्रियता अप्पन्हेम ल्वाभ लग्टिक रह । भन्सरियनके जाँगर ओ राहरंगित कर्ना चमचम बोली ट कहाँ बिस्राए सेक्जाई । सिंहपुर सामुदायिक बनके अंगना ल्वाभ लग्टिक ढ्यांग ढ्यांग सख्वक रुख्वाके सिट्टर छहिया, फुटवल खेल मैदानके दखिनओर रलक प्राकृतिक पानी पम्प पानीक सुविधाके बाट ट का बट्वइना हो ?
निमांग थारु गाउँ, भाषा ओ संस्कृति रलक सिंहपुरिक लट्ठहवा, छोक्रा, महोटिया नाचके सरगम अप्नहेम गाउँक सौन्दर्य बह्रइल रह । एक सय बरस पहिल दांग उपत्यकाके थारु सभ्यताके पोथी मनभर सजाक महाकालीक किनार आक फे असिन निमांग गीत, मंद्रक ख्वाँट ओ लगाम सिंहपुरम ह्यार, ड्याख, सुन, नाच नचाए पाइबेर गर्वले छाति फुलल । थारु पहिचान, थारु संस्कति नेपाल अखण्ड राज्यके असिक अमित पन्ह्वा हो ज्याकर अभावम नेपाल पूर्ण निहो, असिन लागल ।
थारु लेखक संघ, थारु कल्याणकारिणी सभा, गोचाली परिवार, सिंहपुर युवा क्लवके सहकार्यम सम्पन्न कैगिलक ऐतिहासिक छठवा थारु साहित्य सम्मेलन बहुट चिज सिखाइल । हरेक थारु गाउँ राष्ट्रिय स्तरके सम्मेलन कर्ना सक्षमबाट कना उदाहरण सिंहपुर गाउँ डेखाइल । कैलाली ओ कंचनपुर राना थारुन्के बसोवास रलह भुगोल हो । राना थारु भाषाम कुछ विशेष कर सेक्लसे आकुर चम्पन हुइसेक्नेरह, अइना दिनम स्थानीय सवालम फे ध्यान जाइपर्ना महसुस हुइल । छानगिल विषयम संख्यात्कम ओ गुणात्मक सहभागिता व्यवस्थापनम फे ध्यान दिहपर्ना अनुभूति फे हुइल ।

आम संचार माध्यमम समाचारके बन ओ कनाए अत्रा सेक्गिल कि नाई ? समीक्षाके विषय हुई । राज्यसत्ता चलुइयाहुक्र पटा पइल कि नाई काजुन धमाकेदार मागदावी ओ पहर्लकी नाई सम्मेलनके एघारबुँदे घोषणापत्र । मुले, एकठो बाट भर सत्य हो, मोरंगसे कंचनपुरसमके साहित्यकारहुकन्हक उपस्थितिम हुइल छठवा साहित्यिक सम्मेलन थारु समुदायके पहिचान ओ नेपाल निर्माणके सन्दर्भम आपन बुलन्द आवाज सुनाइल । सम्मेलन वर्गीयता, जातीयता ओ क्षेत्रीय विभेद नेपाली समाजके आम अन्तरविरोध हो कना बाटहन मिहिन ढंगसे विट्खोर्ना जाँगर कर्लक महसुस हुइल ।

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