थारु भाषा, कला, संस्कृतिके संरक्षण व प्रवद्र्धन कर्ना एक्ठो क्रान्तिके उद्घोष कैख २०६५ अगहन २४ गतेसे साप्ताहिक रुपम प्रकाशनके सुरुवाट हुइलक लौव अग्रसान आबसम ७३० अंक प्रकाशन होस्याकल बा । यी बिचम थारु भाषा, साहित्य तथा कला संस्कृतिके प्रवद्धनके लाग सयौं आलेख, समाचार, रिर्पाेट प्रकाशन हुइल बा । थारु भाषाके हजारौं टिपिकल शब्दह लिपबद्ध कैगिल बा । संगसंग थारु समुदायम गाजैना मौखिक लोक गीत, ढुम्रु, पस्रा, सख्या, मघौटा, मांगर भोजाह गीत लगायत गीतके दस्तावेजिकरणम फे ओत्रह भूमिका खेल्ल बा ।
ओस्टक थारुन्हक आर्थिक, सामाजिक, साँस्कृति व राजनीतिक परिवर्तनके लागफे बराभारी योगदान पुगल हुइ कना हमन विश्वास बा ।अग्रासन पोष्टा प्रकाशनसंगसंग थारु भाषा, साहित्य व थारु लोकगीतके प्रद्धवनके लाग स्थानीय सरकारसे समन्वय कैख दुइ दर्जनसे ढ्यार थारु लोक साहित्य, लोकगीतके पोष्टाफे प्रकाशन कैख आपन कामह अग्रस्थानम ढैल बा । अत्रा हुइटी हुइटी फे हरेक चिजके पहिला व अन्तिम काम बहुट महत्व रठा कैजिठा ।
‘दंगीशरण सुकौरा महोत्सव’ शिर्षकम पहिला साचार लिख्गिल बा । ओस्टक ड्वासरम ‘आइ.एल.ओ.१६९ लागु हुइपर्ना’ शिर्षकम समाचार बा । ओसहक ‘दाङक सख्या पैया काठमाण्डोसम’, ‘दाङह राजधानी बनैना प्रस्ताव’ व ‘पूर्व प्रधामन्त्री कोइराला मजा हुइटी’ शिर्षकम समाचार छाप्गिल बा । ओस्टक ड्वासर पेजम थारु संस्कृतिविद अशोक थारुके ‘शुभ कामना ! सड्ड अग्रासन खाए मिल’ शिर्षकम पहिला आलेख प्रकाशन हुइल बा ।
अस्टक लेखक भुवन चौधरीके ‘संघीयता, महत्व व याकर उपयुक्तता’ शिर्षक ड्वासर लेख प्रकाशन कैगिल बा । अग्रासनके उह पेजम ‘एक्ठो अउर क्रान्तिक उद्घोष’ शिर्षकम सम्पादकीय लिख्ल बा ।अस्टक अग्रासनके त्यासर पेजम ‘किसान आन्दोलनक अग्वा नेता राजनीतिसे सन्तुष्ट बाटु, अशोक चौधरी’ शिर्षकम पुरन पुकारके प्रस्तुति प्रकाशन हुइल बा । चार पेजम निक्रलक लौव अग्रासनके अन्तिम पेजम पोष्टाके प्रकाशनके निरन्तताके लाग थारु अगुवाहुकनके संयुक्तरुपम शुभकामना व्यक्त करलबाट ।