सम्पादकीय………………………।
दाङ जिल्ला थारुन्हक् उद्गम जिल्लाके रुपम चिन्जैठा । यिहाँ थारुन्हक बाहुल्यता बा । २०७८के जनगणनाके हिसाबले थारुन्हक् जनसंख्या २६.४४ प्रतिशत बा । दाङके आदिवासी धर्तिभूत्रके रुपम थारु जाति चिन्जैठ । उहफे यिहा थारु जातिसंगसंग मगर, अवधि, नेवार ब्राहमण, क्षेत्री, खसआर्य लगायत बहुटजातजाति मिल्ख बैसल बाट । यी सक्कुजहनके आआपन भाषा, साहित्यि, कला, संस्कृति, भेषभुषा, रितिरिवाज बा ।
दाङके दश स्थानीय तह मध्ये बंगलाचुली गाउँपालिका बाहेक सक्कु पालिकाम थारुन्हक बसोबास बा । यी सक्कु पालिकाम हेर्ना हो कलसे आपन भाषम बोल्ना सब्से ध्यार थारु बाट । यदपी घोराही उपमहानगरपालिका बाहेक कौनो फे पालिकाम थारु भाषाह सरकारी कामकाजि भाषाके रुपम निर्णय नि कैगिल हो । स्थानीय तहम जनप्रतिनीधि आइलपाछ देशके सब्से पहिला थारु भाषाह सरकारी कामकाजिके भाषा बनैना घोराही उपमहानगरपालिका हो ।
घोराही उपमहानगरके मेयरम निर्वाचित हुइलपाछ कार्यपालिकाके ड्वासर बैठकम मेयर नरुलाल चौधरी थारु भाषाह सरकारी कामकाजिक भाषाके रुपम निर्णय करैल । जौन निर्णयले देशभर हलचल आइल । आब यिह थारु भाषम निवेदन डेना, थारु भाषम सूचना प्रकाशन कर्ना लगायत कार्यपालिकाके वैठकम समेत थारु भाषक ब्यानर ढैगिल रहट । ओस्टक थारु भाषाक पाठ्यक्रम बनाख स्कूलम समेत पठनपाठन सुरु हो स्याकल बा । अस्टक थारु भाषा, साहित्य प्रवद्धनके लाग दर्जनसे ध्यार थारु भाषक मेरमेह्रिक थारु लोक गीत, ढुम्रु, माँगर, पस्रा, बर्कीमार, भोजाहा गीत, थारु फोटु पोस्टा प्रकाशन कैख थारु भाषाह लिपिबद्ध व दस्तावेजिकरणम कर्नामफे आघ डेख परल बा । ओत्रकेल निहोख थारु भाषा, साहित्य एवं लोक संस्कृतिके प्रवद्धनके लाग मेरमेह्रिक कार्यक्रम लौव अग्रसान साप्ताहिक पोष्टाके सहकार्यक्रम खोजमुलक आलेख, स्टोरी, फिचरफे प्रकाशन कर्टि आइल बा ।
अस्टक थारुन्हक लोप हुइटी रलक बर्का नाच, सख्या नाच लगायतके डकुमेन्टी बनाख थारुन्हक कला, संस्कृतिके प्रवद्धनम फे ओत्रह भूमिका खेल्टी आइल बा । तर, और पालिकाके जनप्रतिनीधिहुक्र ओसिन विषयम ध्यान डिहल निपाजटाइट । नेपालके संविधानम स्थानिय भाषा, कला, संस्कृतिके संरक्षण व प्रवद्धन कर्ना अधिकार स्थानिय तहह डेलसे फे ओत्रा गम्भिरहोख लागल निपाजाइट । थारु भाषा, कला, संस्कृति थारुन्हक हुइलसे फे यी कलक स्थानयि सरकारके सम्पत्ति व गहना हो ।
स्थानीय तहसे थारुन्हक भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति केल नाही उहाँ बैस्ना सक्कु जातजातिके भाषा, कला, संस्कृति बचैना पहिला दायित्व स्थानियतहके हो । उहओर्से और पालिकाके जनप्रतिनीधिहुक्र घोराही उपमहानगरपालिकासे सिख पर्ना जरुर बा ।अइना आर्थिक बर्षसे स्थानीय भाषा, साहित्य, कला, संस्कृतिके संरक्षण व प्रवर्दन करकलाग विशेष कार्यक्रम लान पर्ठा । यी विषयम स्थानिय तहसे उत्साह व जागरुक्ताके साथ लाग कना हमार सुझाव सहित आशा व अपेक्षा हो ।
जय गुर्वावा !